गुरुवार, 17 सितंबर 2015

वर्षा वर्णन

घरर घरर घनघोर गर्जे

वर्षा वर्णन
छंद रेणंकी

घनघोर घमंड अघोर चढ्यो धन
वादळ दळ अनगळ सजळ चले
तो अवळ सवळ वायु दळ वमळे
भडक् भडक् नभ अनळ जले
तव चमक् चक् बीज चमकत् दमकत्
धमक् धमक् तल धरन ध्रूजे
तो रुमझुम रूमझुम बरसत् बरखा
घरर् घरर् घन घोर गर्जे

तव डमक् डमक् दादुर रव डमकत्
गहेकत् मोर मराग गिरा
तो पियु पियु शब्द पुकारत् चातक्
कीयु कीयु कोकील कुजन हीरा
तव डणक् डणक् मृगराजहीं डणकत्
छणकत् सिंहण काम छज्जे
तो रुमझुम रूमझुम बरसत् बरखा
घरर् घरर् घन घोर गर्जे

तव तृहक तृहक जलभर तरू तहकत्
म्हेकत कुसुमत् सुरभ मृदु
तो गणणण करत गुंजार मधुकर
मृदुल सुमन रज पिबत मधु
तो छलक् छलक् सरवर जल छलकत
सळकत् सरिता सलील सृजे
तो रुमझुम रूमझुम बरसत् बरखा
घरर् घरर् घन घोर गर्जे

तव गडड् गडड् रतनाकर गडडत्
हडडत् मोजां अडड् अड्ये
तो कडड् कडड् नभ होत कडाका
धणणण गिरिवर शिखर धडे
तव धडक् धडक् उर कोमल धडकत
थडकत् भामन कंथ भूजे
तो रूमझुम रूमझुम बरसत् बरखा
घरर् घरर् घन घोर गर्जे

तव रमक् झमक् पद नेपुर रणकत्
ठणकत् झांझर ठीक ठणके
तो खणण खणण कर कंकण खणकत
धमकत रणजण घूघर घणे
धनं बरन बसन मरकत् मन् भूषन्
नुतन सुनत शीनगार सजे
तो रुमझुम रूमझुम बरसत बरखा
घरर् घरर् घन गोर गर्जे

धरी केश सुवेश सुमनभर वेणी
मृगनेनी तन सकल सजे
भ्रुभृंग बिलास डगे मुनीयन मन
नयन विलोलन कुटील छजे
नवहसत् रमत खेलत् पियु पूजत्
नीरखत् रतिपती गरव गंजे
तो रुमझुम रूमझुम बरसत बरखा
घरर् घरर् घन घोर गर्जे

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