गुरुवार, 28 अप्रैल 2016

पुरानी गर्ल फ्रेंड से भेट! - हास्य कविता .........

पुरानी गर्ल फ्रेंड से भेट!
हास्य कविता .........

एक दिन दफ्तर से घर आते हुए पुरानी गर्ल फ्रेंड से भेट हो गयी 
और जो बीवी से मिलने की जल्दी थी वह ज़रा से लेट हो गयी;

जाते ही बीवी ने आँखे दिखाई -आदतानुसार हम पर चिल्लाई;

तुम क्या समझते हो मुझे नहीं है किसी बात का इल्म;
जरुर देख रहे होगे तुम सक्रेटरी के साथ कोई फिल्म;

मैंने कहा - अरी पगली, घर आते हे ऐसे झिडकियां मत दिया कर;
कभी तो छोड़ दे, मुझ बेचारे पर इस तरह शक मत किया कर;

पत्नी फिर तेज होकर बोली - मुझे बेवकूफ बना रहे हो;
6 बजे दफ्तर बंद होता है और तुम 10 बजे आ रहे हो;

मैंने कहा अब छोड़ यह धुन - 
मेरी बात ज़रा ध्यान से सुन;

एक आदमी का एक हज़ार का नोट खो गया था;
और वह उसे ढूंढने के जिद्द पर अड़ा था;
पत्नी बोली, तो तुम उसकी मदद कर रहे थे;
मैंने कहा , नहीं रे पगली मै ही तो उस पर खड़ा था;

सुनते ही पत्नी हो गयी लोट-पोट;
और बोली कहाँ है वह हज़ार का नोट;
मैंने कहा बाकी तो खर्च हो गया यह लो सौ रुपये का नोट ;

वह बोली क्या सब खा गए बाकी के 900 कहाँ गए;

मैंने कहा : असल में जब उस नोट के ऊपर मै खडा था;
तो एक लडकी की निगाह में उसी वक़्त मेरा पैर पडा था;

कही वह कुछ बक ना दे इसलिए वह लडकी मनानी पडी;
उसे उसी के पसंद के पिक्चर हाल में फिल्म दिखानी पडी;

फिर उसे एक बढ़िया से रेस्टोरेन्ट में खाना खिलाना पड़ा;
और फिर उसे अपनी बाइक से घर भी छोड़कर आना पड़ा;

तब कहीं जाकर तुम्हारे लिए सौ रुपये बचा पाया हूँ;
यूँ समझो जानू तुम्हारे लिए पानी पुरी का इंतजाम कर लाया हूँ;

अब तो बीवी रजामंद थी - क्यूंकि पानी पुरी उसे बेहद पसंद थी;

तुरंत मुस्कुराकर बोली : मै भी कितनी पागल हूँ इतनी देर से ऐसे ही बक बक किये जा रही थी;

सच में आप मेरा कितना ख़याल रखते है और मै हूँ कि आप पर शक किये जा रही थी!

सभी शादी शुदा लोगो को सप्रेम भेंट (पी.के.)

मंगलवार, 26 अप्रैल 2016

शब्द संभाले बोलिए

“शब्द संभाले बोलिए, शब्द के हाथ न पावं!
“एक शब्द करे औषधि, एक शब्द करे घाव!

“शब्द सम्भाले बोलियेे, शब्द खीँचते ध्यान!
“शब्द मन घायल करेँ, शब्द बढाते मान!

“शब्द मुँह से छूट गया, शब्द न वापस आय..
“शब्द जो हो प्यार भरा, शब्द ही मन मेँ समाएँ!

“शब्द मेँ है भाव रंग का, शब्द है मान महान!
“शब्द जीवन रुप है, शब्द ही दुनिया जहान!

“शब्द ही कटुता रोप देँ, शब्द ही बैर हटाएं!
“शब्द जोङ देँ टूटे मन, शब्द ही प्यार बढाएं

www.atozsms.weebly.com

शनिवार, 23 अप्रैल 2016

शब्द संभाले बोलिए

“शब्द संभाले बोलिए, शब्द के हाथ न पावं!
“एक शब्द करे औषधि, एक शब्द करे घाव!

“शब्द सम्भाले बोलियेे, शब्द खीँचते ध्यान!
“शब्द मन घायल करेँ, शब्द बढाते मान!

“शब्द मुँह से छूट गया, शब्द न वापस आय..
“शब्द जो हो प्यार भरा, शब्द ही मन मेँ समाएँ!

“शब्द मेँ है भाव रंग का, शब्द है मान महान!
“शब्द जीवन रुप है, शब्द ही दुनिया जहान!

“शब्द ही कटुता रोप देँ, शब्द ही बैर हटाएं!
“शब्द जोङ देँ टूटे मन, शब्द ही प्यार बढाएं

www.atozsms.weebly.com

बुधवार, 20 अप्रैल 2016

शिकवा

यह और बात है कि मैं शिकवा न कर सकूँ
लेकिन तेरी निगाह को पहचानता हूँ मैं................
बात मुकद्दर पे आ के रह गयी वरना
कोई कसर तो नहीं छोडी थी तुझे उसको चाहने में.............
कुछ सामान है तेरा जो परेशान करता है
इक याद
इक इंतज़ार
कुछ बे रूख़ी................
तेरे बिन जीना है ऐसे,
दिल धड़का ना हो जैसे.........❤
वो मेरे पास से गुजरा न दिल धड़का न लब लरजे
क़यामत है ख़ामोशी से क़यामत का गुजर जाना.................
भरोसा जितना कीमती होता है
धोखा उतना ही महंगा हो जाता है.................
आज खुदा ने फिर पूछा
तेरा हँसता चेहरा उदास क्यों है
तेरी आँखों में प्यास क्यों है
जिसके पास तेरे लिए वक़्त नही
वही तेरे लिए ख़ास क्यों है......................
चलो चलते है उस जहाँ में
जहाँ रिश्तों का नाम नहीं पूछा जाता
धडकनों पर कोई बंदिश नहीं
ख्वाबों पर कोई इलज़ाम नहीं दिया जाता................
जाने क्यूँ महसूस हो रहा है~
कि मुझ़े महसूस कर रहे हो तुम...............
.

शनिवार, 16 अप्रैल 2016

जिंदगी की परीक्षा

"जिंदगी की परीक्षा में
कोई नम्बर नहीं मिलते
है साहब .........
लोग आपको दिल  से
याद करे तो समझ
लेना आप पास हो गए।"

मैं रूठा, तुम भी रूठ गए

मैं रूठा, तुम भी रूठ गए
फिर मनाएगा कौन ?
आज दरार है, कल खाई होगी
फिर भरेगा कौन ?
मैं चुप, तुम भी चुप
इस चुप्पी को फिर तोडे़गा कौन ?
बात छोटी को लगा लोगे दिल से,
तो रिश्ता फिर निभाएगा कौन ?
दुखी मैं भी और  तुम भी बिछड़कर,
सोचो हाथ फिर बढ़ाएगा कौन ?
न मैं राजी, न तुम राजी,
फिर माफ़ करने का बड़प्पन दिखाएगा कौन ?
डूब जाएगा यादों में दिल कभी,
तो फिर धैर्य बंधायेगा कौन ?
एक अहम् मेरे, एक तेरे भीतर भी,
इस अहम् को फिर हराएगा कौन ?
ज़िंदगी किसको मिली है सदा के लिए ?
फिर इन लम्हों में अकेला रह जाएगा कौन ?
मूंद ली दोनों में से गर किसी दिन एक ने आँखें....
तो कल इस बात पर फिर
पछतायेगा कौन ?

रविवार, 10 अप्रैल 2016

सुनने की आदत डालो

सुनने की आदत डालो क्योंकि 
ताने मारने वालों की कमी नहीं हैं।

मुस्कराने की आदत डालो क्योंकि
रुलाने वालों की कमी नहीं हैं

ऊपर उठने की आदत डालो क्योंकि
टांग खींचने वालों की कमी नहीं है।

प्रोत्साहित करने की आदत डालो क्योंकि
हतोत्साहित करने वालों की कमी नहीं है!!

छोटी छोटी बातें दिल में रखने से
बड़े बड़े रिश्ते कमजोर हो जाते हैं"
कभी पीठ पीछे आपकी बात चले
तो घबराना मत ... बात तो
"उन्हीं की होती है"..
जिनमें कोई " बात " होती है

"निंदा" उसी की होती हे जो"जिंदा" हैँ
मरने के बाद तो सिर्फ "तारीफ" होती है।