अमीर का *कौआ* भी हो तो सबको " मोर" लगता है...
गरीब जब *भूखा* होता है तो सबको *चोर*लगता है...
हथेली पर रख कर नसीब हर शख्स
मुकद्दर ढूंढता है...
सीखो उस समुन्दर से जो टकराने लिए पत्थर ढूंढता है....!!
उर्दू मेंशायर शायरी, गम की शायरी, जुदाई की शायरी, प्यार में बेवफाई की शायरी, बेवफा सनम , मोहब्बत की शायरी, दर्द भरी शायरी, गर्लफ्रेंड पर शायरी, तारीफ में शायरी
अमीर का *कौआ* भी हो तो सबको " मोर" लगता है...
गरीब जब *भूखा* होता है तो सबको *चोर*लगता है...
हथेली पर रख कर नसीब हर शख्स
मुकद्दर ढूंढता है...
सीखो उस समुन्दर से जो टकराने लिए पत्थर ढूंढता है....!!
मत सोच कि तेरा
सपना क्यों पूरा नही होता
हिम्मत वालो का इरादा
कभी अधूरा नही होता
जिस इंसान के कर्म
अच्छे होते हैं
उसके जीवन में कभी
अंधेरा नही होता
गरीबी से उठा हूँ, गरीबी का दर्द जानता हूँ।
आसमाँ से ज्यादा, जमीं को जानता हूँ।
लचीला पेड़ था जो झेल गया आँधिया।
मैं मगरूर दरख्तों का हश्र जानता हूँ।
जमीं से उपर उठना आसान नहीं होता।
जिंदगी में कितना जरूरी हैं सब्र, जानता हूँ।
मेहनत बढ़ी तो किस्मत भी बढ़ चली।
छालों में छिपी लकीरों का असर जानता हूँ।
कुछ पाया पर अपना कुछ नहीं माना, क्योंकि
आखरी ठिकाना कहाँ हैं, सब जानता हूँ।।
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हम गए थे उनको मनाने के लिए...
वो खफा अच्छे लगे तो हमने खफा ही रहने दिया
भावार्थ - कविता की इस पन्क्ति में कवि कह रहा है -
"भाड़ में जा"
मधुशाला : बिहार संस्करण
पटना, छपरा, दरभंगा तक
सूख गया रस का प्याला।।।
हाजीपुर के केले,
पुल पर बेच रही मधुबाला।।।
घर-घर जाकर सूँघ रही है,
मित्र पुलिस अधरों का प्याला।।।
सुनिये बच्चन
मेल कराती थी पहले, अब
जेल कराती मधुशाला।।।
नाम कमातीं बेटियां
मान बढ़ातीं बेटियां
साक्षी और सिंधु बन
धूम मचातीं बेटियां
राष्ट्र के माथे पर टीका
तिलक सजातीं बेटियां
वर्जना के पहाड़ तोड़
तिरंगा लहरातीं बेटियां
हम बेटों से कम कहाँ
करके दिखातीं बेटियां
विश्वास के दीपक में
कर्म की बाती बेटियां...!!
बशीर बद्र
खुद को इतना भी मत बचाया कर,
बारिशें हो तो भीग जाया कर।
चाँद लाकर कोई नहीं देगा,
अपने चेहरे से जगमगाया कर।
दर्द हीरा है, दर्द मोती है,
दर्द आँखों से मत बहाया कर।
काम ले कुछ हसीन होंठो से,
बातों-बातों मे मुस्कुराया कर।
धूप मायूस लौट जाती है,
छत पे किसी बहाने आया कर।
कौन कहता है दिल मिलाने को,
कम-से-कम हाथ तो मिलाया कर।
"परी हो तुम गुजरात की, रूप तेरा मद्रासी !
सुन्दरता कश्मीर की तुम में, सिक्किम जैसा शर्माती !!
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खान-पान पंजाबी जैसा, बंगाली जैसी बोली !
केरल जैसी आंख तुम्हारी, है दिल तो तुम्हारा दिल्ली !!
महाराष्ट्र तुम्हारा फ़ैशन है, तो गोवा नया जमाना !
खुशबू हो तुम कर्नाटक की, बल तो तेरा हरियाणा !!
सीधी-सादी उड़ीसा जैसी, एम.पी. जैसा मुस्काना !
दुल्हन तुम राजस्थानी जैसी, त्रिपुरा जैसा इठलाना !!
झारखंड तुम्हारा आभूषण, तो मेघालय तुम्हारी बिन्दीया है !
सीना तुम्हारा यू.पी है तो, हिमाचल तुम्हारी निन्दिया है !!
कानों का कुंडल छत्तीसगढ़, तो मिज़ोरम तुम्हारी पायल है
बिहार गले का हार तुम्हारा,
तो आसाम तुम्हारा आंचल है !!
नागालैंड- आन्ध्र दो हाथ तुम्हारे, तो ज़ुल्फ़ तुम्हारा अरुणाचल है !
नाम तुम्हारा भारत माता,
तो पवित्र तुम्हारा उत्तरांचल है !!
सागर है परिधान तुम्हारा,
तिल जैसे है दमन-द्वीव !
मोहित हो जाता है सारा जग,
रहती हो तुम कितनी सजीव !!
अंडमान और निकोबार द्वीप,
पुष्पों का गुच्छ तेरे बालों में !
झिल-मिल, झिल-मिल से लक्षद्वीप, जो चमक रहे तेरे गालों में !!
ताज तुम्हारा हिमालय है,
तो गंगा पखारती चरण तेरे !
कोटि-कोटि हम भारत वासियों का,
स्वीकारो तुम नमन मेरे !!
जय हो।
भारत माता की जय।
अगर बिकी तेरी *दोस्ती
तो पहले *ख़रीददार* हम होंगे ...
तुझे ख़बर न होगी तेरी *क़ीमत
पर तुझे पाकर सबसे *अमीर* हम होंगे
दोस्त साथ हो तो रोने में भी *शान है
दोस्त ना हो तो *महफिल भी *श्मशान है
सारा खेल दोस्ती का है ऐ मेरे *दोस्त
वरना *जनाजा और बारात एक ही समान है
सारे दोस्तो को समर्पित
मै यादों का किस्सा खोलूँ तो,
कुछ दोस्त बहुत याद आते हैं.
मै गुजरे पल को सोचूँ तो,
कुछ दोस्त बहुत याद आते हैं.
अब जाने कौन सी नगरी में,
आबाद हैं जाकर मुद्दत से.
मै देर रात तक जागूँ तो,
कुछ दोस्त बहुत याद आते हैं.
कुछ बातें थीं फूलों जैसी,
कुछ लहजे खुशबू जैसे थे,
मै शहर-ए-चमन में टहलूँ तो,
कुछ दोस्त बहुत याद आते हैं.
सबकी जिंदगी बदल गयी
एक नए सिरे में ढल गयी
किसी को नौकरी से फुरसत नही
किसी को दोस्तों की जरुरत नही
कोई पढने में डूबा है, कोई पढाने मे
सारे यार गुम हो गये हैं
"तू" से "तुम" और "आप" हो गये है
मै गुजरे पल को सोचूँ तो,
कुछ दोस्त बहुत याद आते हैं.
धीरे धीरे उम्र कट जाती है,
जीवन यादों की पुस्तक बन जाती है,
कभी किसी की याद बहुत तड़पाती है
और कभी यादों के सहारे ज़िन्दगी कट जाती है ...
- किनारो पे सागर के खजाने नहीं आते,
फिर जीवन में दोस्त पुराने नहीं आते ...
- जी लो इन पलों को हस के दोस्त,
फिर लौट के दोस्ती के जमाने नहीं आते ...
आपका स्नेहाकांक्षी
सरदार सिंह सांदू
नींद आने की दवाईयां हजार है...
ना आने के लिए ,
इश्क काफी है....
"छोटे आदमी" का "हाथ" पकड़कर रखिये.. हुजूर...
"बडे आदमी" का "पांव" पकड़ने की जरूरत नही पडेगी...
भले ही उसूल हमेशा खुद से ऊपर रखना ..
पर रिश्तो में जरा झुकने का जिगर रखना.....