बुधवार, 20 अप्रैल 2016

शिकवा

यह और बात है कि मैं शिकवा न कर सकूँ
लेकिन तेरी निगाह को पहचानता हूँ मैं................
बात मुकद्दर पे आ के रह गयी वरना
कोई कसर तो नहीं छोडी थी तुझे उसको चाहने में.............
कुछ सामान है तेरा जो परेशान करता है
इक याद
इक इंतज़ार
कुछ बे रूख़ी................
तेरे बिन जीना है ऐसे,
दिल धड़का ना हो जैसे.........❤
वो मेरे पास से गुजरा न दिल धड़का न लब लरजे
क़यामत है ख़ामोशी से क़यामत का गुजर जाना.................
भरोसा जितना कीमती होता है
धोखा उतना ही महंगा हो जाता है.................
आज खुदा ने फिर पूछा
तेरा हँसता चेहरा उदास क्यों है
तेरी आँखों में प्यास क्यों है
जिसके पास तेरे लिए वक़्त नही
वही तेरे लिए ख़ास क्यों है......................
चलो चलते है उस जहाँ में
जहाँ रिश्तों का नाम नहीं पूछा जाता
धडकनों पर कोई बंदिश नहीं
ख्वाबों पर कोई इलज़ाम नहीं दिया जाता................
जाने क्यूँ महसूस हो रहा है~
कि मुझ़े महसूस कर रहे हो तुम...............
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