सोमवार, 2 मई 2016

जमीन जल चुकी है आसमान बाकी है,

जमीन जल चुकी है आसमान बाकी है,
दरख्तों तुम्हारा इम्तहान बाकी है...!

वो जो खेतों की मेढ़ों पर उदास बैठे हैं,
उन्हीं की आँखों में अब तक ईमान बाकी है..!!

बादलों अब तो बरस जाओ सूखी जमीनों पर,
किसी का मकान गिरवी है और किसी  का लगान बाकी है...!!!  www.sherkavi.blogspot.in

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