*क्या बेचकर हम खरीदे "फुर्सत ऐ "जिंदगी....*
*सब कुछ तो "गिरवी"पड़ा है जिम्मेदारी के बाजार में....*
*मुस्कुराने से शुरू और रुलाने पे खत्म, ..!!
*ये वो जुल्म हैं जिसे लोग मोहब्बत कहते हैं.!!
इन 'शायरियों' में खो गया है... कहीं 'सुकून' मेरा...
जो तुम 'पढ़कर' मुस्कुरा दो... तो 'वसूल' हो जाए...!!
दर्द सहते सहते इंसान सिर्फ हसना नहीं
रोना भी छोड़ देता है ।।
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