शनिवार, 26 अगस्त 2017

पागलपन

रोज़ आ जाते हो
बिना इत्तेला दिए
ख्वाबों में.....

कोई देख लेगा तो
हम क्या जवाब देंगे...

खुश रहना हो... तो... अपनी फितरत में...., एक बात शुमार कर लो..!

*ना मिले कोई अपने जैसा...., तो खुद से प्यार कर लो..*

*पागलपन की हद से न गुजरे तो प्यार कैसा*
*होश में तो रिश्ते निभाए जाते हैं साहेब*

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