मंगलवार, 6 अक्टूबर 2015

हाल-ए-दिल सुना सकें

इतनी हिम्मत नहीं कि किसी को हाल-ए-दिल सुना सकें,
बस जिसके लिए उदास है वो महसूस कर ले तो क्या बात है

दिल से बाहर निकलने का रास्ता

वो मेरे दिल से बाहर निकलने का रास्ता न ढुंढ सके, दावा करते थे जो मेरी रग-रग से वाकीफ होने का !!

अंदाज ही कुछ ऐसा है

हमारा अंदाज ही कुछ ऐसा है।
कि जब हम बोलते है तो बरस जाते है।
और जब हम चुप रहते है।तो लोग तरस जाते है।

गौर से देखा था आईने में ...

आज गौर से देखा था आईने में ...
तो बहुत उदास पाया था खुद को ...
दुनियादारी में इस कदर थे उलझे हुए ...
की नज़रअंदाज़ कर बैठे थे हम खुद को ।

उसकी नफ़रत

मै खुश हू कि उसकी नफ़रत
का अकेला वारिस हूँ,

वरना मोहब्बत तो उसे कई लोगो से है.

कुछ खामोशी को था स्वाभिमान

कुछ खामोशी को था स्वाभिमान,
कुछ लफ्जों को अपना गुरुर,

दोनों का ये मौन
दूरियों की वज़ह बनता रहा.....

जो बदलते हैं

जो बदलते हैं साथ वक्त के वो रिश्ते नहीं

किश्ती हैं दरिया के अभी और कहीं कभी और कहीं !