शनिवार, 19 सितंबर 2015

प्यास लगी थी गजब की...मगर पानी मे जहर था...

प्यास लगी थी गजब की...मगर पानी मे जहर था...
पीते तो मर जाते और ना पीते तो भी मर जाते...
बस यही दो मसले, जिंदगीभर ना हल हुए!!!
ना नींद पूरी हुई, ना ख्वाब मुकम्मल हुए!!!
वक़्त ने कहा.....काश थोड़ा और सब्र होता!!!
सब्र ने कहा....काश थोड़ा और वक़्त होता!!!
सुबह सुबह उठना पड़ता है कमाने के लिए साहेब...।। आराम कमाने निकलता हूँ आराम छोड़कर।।
"हुनर" सड़कों पर तमाशा करता है और "किस्मत" महलों में राज करती है!!
"शिकायते तो बहुत है तुझसे ऐ जिन्दगी,
पर चुप इसलिये हु कि, जो दिया तूने,
वो भी बहुतो को नसीब नहीं होता"...

गुरुवार, 17 सितंबर 2015

सुनने कि आदत डालो,

सुनने कि आदत डालो,
    ताने मारने वालों की
                 कमी नही है.......
मुस्कराने की आदत डालो,
        रुलाने वालों की
                 कमी नही है.......
ऊपर उठने की आदत डालो,
         टाँग खिचनें वालो की
                 कमी नही है.......
प्रोत्साहित करने की आदत
डालो,
    हतोत्साहित करने वालो की
                  कमी नही है......
गलत का विरोध करने की आदत डालो,
सत्य का साथ देने वालो की भी
      
    कमी नही है

वर्षा वर्णन

घरर घरर घनघोर गर्जे

वर्षा वर्णन
छंद रेणंकी

घनघोर घमंड अघोर चढ्यो धन
वादळ दळ अनगळ सजळ चले
तो अवळ सवळ वायु दळ वमळे
भडक् भडक् नभ अनळ जले
तव चमक् चक् बीज चमकत् दमकत्
धमक् धमक् तल धरन ध्रूजे
तो रुमझुम रूमझुम बरसत् बरखा
घरर् घरर् घन घोर गर्जे

तव डमक् डमक् दादुर रव डमकत्
गहेकत् मोर मराग गिरा
तो पियु पियु शब्द पुकारत् चातक्
कीयु कीयु कोकील कुजन हीरा
तव डणक् डणक् मृगराजहीं डणकत्
छणकत् सिंहण काम छज्जे
तो रुमझुम रूमझुम बरसत् बरखा
घरर् घरर् घन घोर गर्जे

तव तृहक तृहक जलभर तरू तहकत्
म्हेकत कुसुमत् सुरभ मृदु
तो गणणण करत गुंजार मधुकर
मृदुल सुमन रज पिबत मधु
तो छलक् छलक् सरवर जल छलकत
सळकत् सरिता सलील सृजे
तो रुमझुम रूमझुम बरसत् बरखा
घरर् घरर् घन घोर गर्जे

तव गडड् गडड् रतनाकर गडडत्
हडडत् मोजां अडड् अड्ये
तो कडड् कडड् नभ होत कडाका
धणणण गिरिवर शिखर धडे
तव धडक् धडक् उर कोमल धडकत
थडकत् भामन कंथ भूजे
तो रूमझुम रूमझुम बरसत् बरखा
घरर् घरर् घन घोर गर्जे

तव रमक् झमक् पद नेपुर रणकत्
ठणकत् झांझर ठीक ठणके
तो खणण खणण कर कंकण खणकत
धमकत रणजण घूघर घणे
धनं बरन बसन मरकत् मन् भूषन्
नुतन सुनत शीनगार सजे
तो रुमझुम रूमझुम बरसत बरखा
घरर् घरर् घन गोर गर्जे

धरी केश सुवेश सुमनभर वेणी
मृगनेनी तन सकल सजे
भ्रुभृंग बिलास डगे मुनीयन मन
नयन विलोलन कुटील छजे
नवहसत् रमत खेलत् पियु पूजत्
नीरखत् रतिपती गरव गंजे
तो रुमझुम रूमझुम बरसत बरखा
घरर् घरर् घन घोर गर्जे

मंगलवार, 15 सितंबर 2015

प्यार के रिश्ते की हो गई है शुरूआत

प्यार के रिश्ते की हो गई है शुरूआत, दिल की दिल से हो गई है पहली मुलाकात, आँखों से झलके है दिल के जजबात, प्यार बढेगा हर पल, चाहे जैसे भी हों हालात..

फूल कमल का भी है,

फूल कमल का भी है, फूल चमेली का भी है, मगर प्यार का पैगाम है फूल गुलाब का. वैसे तो लाखों चेहरे देखे हैं, मगर हमारी तो आँखों में बसा है चेहरा सनम आपका..

लोग आपको गुलाब कहते ह

लोग आपको गुलाब कहते है
      और जाने शबाब कहते है
      आप जैसे हसीन चेहरे को हम
         खुदा की किताब कहते हैं ..

मेरे चेहरे की हंसी हो तुम

मेरे चेहरे की हंसी हो तुम, मेरे दिल की हर ख़ुशी हो तुम, मेरे होठों की मुस्कान तुम ही तो हो, धड़कता है मेरा ये दिल जिसके लिए, वो मेरी जान तुम ही तो हो..