मंगलवार, 6 अक्टूबर 2015

तजुर्बा कहता है

तजुर्बा कहता है मोहब्बत से किनारा कर लूँ…
और दिल कहता हैं की ये तज़ुर्बा दोबारा कर लू|

apni Soorat to dikha dun...

Aaine ko Main apni Soorat to dikha dun...
Pr in Nazrin ko Meri nhin Tere Deedar ki Aadat hai....

राह ताकता है

वो आईना आज भी राह ताकता है तेरी,

जिसको देखकर कभी सुरत सवांरी थी तूने!!

हसरतों के बाजार में

हसरतों के बाजार में हुए बेआबरू कुछ इस तरह;
खुद की नीलामी में खुद ही खरीदार हुए,
आईने के सामने जब भी खड़े हुए
अपनी शक्ल को छोड़ सबके दीदार हुए

सोमवार, 5 अक्टूबर 2015

पीठ पर जो जख्म है

मेरे पीठ पर जो जख्म है वो अपनों की निशानी हैं,
वरना सीना तो आज भी दुश्मनो के इंतजार मे बैठा है…

हुनरमंद राही

अनजान सी राहों पर चलने का तजुर्बा नहीं था,
पर उस राह ने मुझे एक हुनरमंद राही बना दिया।

शनिवार, 3 अक्टूबर 2015

क्यू जा रही हो तुम


'मयूरी सी भरी पूरी
सुनहरी लग रही हो तुम
कोई शिल्पी तराशे वो
परी सी फब रही हो तुम ।
तुम्हारे रूप का जादू ये
   सिर पर चढ़ गया मेरे
  मुझे तन्हा अकेला छोड
   कर क्यू जा रही हो तुम ।।