लौट आती है हर बार इबादत मेरी खाली"!!
ना जाने कौनसी मंजिल पे खुदा रहता है"!
उर्दू मेंशायर शायरी, गम की शायरी, जुदाई की शायरी, प्यार में बेवफाई की शायरी, बेवफा सनम , मोहब्बत की शायरी, दर्द भरी शायरी, गर्लफ्रेंड पर शायरी, तारीफ में शायरी
लौट आती है हर बार इबादत मेरी खाली"!!
ना जाने कौनसी मंजिल पे खुदा रहता है"!
इलाही उनके हिस्से का भी गम मुझको अता कर दे,
कि उन मासूम आंखों में नमी देखी नहीं जाती..
हक जो मिल जाता मुस्कुराने का,
अहसाँ हो -जाता फिर जमाने का
इलाही उनके हिस्से का भी गम मुझको अता कर दे,
कि उन मासूम आंखों में नमी देखी नहीं जाती..
कितना बेजान शहर हुआ जाता है अब ये ।
यहाँ उदास चेहरों का हाल कोई नहीं पूछता ।।
मरने वाले का मज़हब पूछते हैं सब ।
यहाँ क़ातिल से सवाल कोई नहीं पूछता ।
आज शायरो की बस्ती से गुज़रे तो महसूस हुआ,,
दर्द की महफिले भी लजवाब होती है...
'पसंद' है मुझे.....'उन' लोगों से 'हारना'.....!!
जो मेरे 'हारने' की वजह से.....'पहली' बार 'जीते' हों.....!!!