मंगलवार, 6 अक्तूबर 2015

कितना बेजान शहर

कितना बेजान शहर हुआ जाता है अब ये ।

यहाँ उदास चेहरों का हाल कोई नहीं पूछता ।।

मरने वाले का मज़हब पूछते हैं सब ।

यहाँ क़ातिल से सवाल कोई नहीं पूछता ।

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