रविवार, 11 सितंबर 2016

वफा

हम ना रहें भी तो हमारी यादें वफा करेंगी तुम से,
ये ना समजना की तुम्हें चाहा था बस दो दिन के लिए !!

शुक्रवार, 2 सितंबर 2016

नज़्म

मैंने लिखना शुरू किया
की तुम क्या क्या हो

चाँद हो , ...नज़्म हो , ...छाँव हो
आइना हो
पता है

सबसे सुंदर क्या लिखा मैंने ?

"तुम"- बस तुम मेरी  हो

सोमवार, 29 अगस्त 2016

अमीर का कौआ

अमीर का *कौआ* भी हो तो सबको " मोर" लगता है...

गरीब जब *भूखा* होता है तो सबको *चोर*लगता है...

हथेली पर रख कर नसीब हर शख्स
मुकद्दर ढूंढता है...

सीखो उस समुन्दर से जो टकराने लिए पत्थर ढूंढता है....!!

बुधवार, 24 अगस्त 2016

सपना

मत सोच कि तेरा
सपना क्यों पूरा नही होता
    हिम्मत वालो का इरादा
        कभी अधूरा नही होता
जिस इंसान के कर्म
      अच्छे होते हैं
उसके जीवन में कभी
     अंधेरा नही होता
    

आखरी ठिकाना कहाँ हैं

गरीबी से उठा हूँ, गरीबी का दर्द जानता हूँ।
आसमाँ से ज्यादा, जमीं को जानता हूँ।

लचीला पेड़ था जो झेल गया आँधिया।
मैं मगरूर दरख्तों का हश्र जानता हूँ।

जमीं से उपर उठना आसान नहीं होता।
जिंदगी में कितना जरूरी हैं सब्र, जानता हूँ।

मेहनत बढ़ी तो किस्मत भी बढ़ चली।
छालों में छिपी लकीरों का असर जानता हूँ।

कुछ पाया पर अपना कुछ नहीं माना, क्योंकि
आखरी ठिकाना कहाँ हैं, सब जानता हूँ।।
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भाड़ में जा

हम गए थे उनको मनाने के लिए...
वो खफा अच्छे लगे तो हमने खफा ही रहने दिया
भावार्थ - कविता की इस पन्क्ति में कवि कह रहा है -
"भाड़ में जा"

मधुशाला : बिहार संस्करण

मधुशाला : बिहार संस्करण

पटना, छपरा, दरभंगा तक
सूख गया रस का प्याला।।।

हाजीपुर के केले,
पुल पर बेच रही मधुबाला।।।

घर-घर जाकर सूँघ रही है,
मित्र पुलिस अधरों का प्याला।।।

सुनिये बच्चन

मेल कराती थी पहले, अब
जेल कराती मधुशाला।।।