बुधवार, 30 सितंबर 2015

सहर ए नवा का अब के कुछ यूं असर होगा

सहर ए नवा का अब के कुछ यूं असर होगा
रोशनी की तलाश में यह समूचा शहर होगा

इंशा अल्लाह  वो दौर भी यकीनन आयेगा
हर शीशे के हाथ में एक दिन पत्थर होगा

ज़माने को  मालुम है तेरेे इंसाफ का आलम
हर इक इल्जाम किसी बेगुनाह के सर होगा

चरागों को ही हासिल है यह खुदाई खिदमत
कि बस्तियां जलाने से न रोशन कोई घर होगा

मत पूछ कि कहाँ से चला था कहाँ आया हूँ
मिलेगी जहाँ मंजिल  शुरू वहीं से सफर होगा 

कितने बेबस हैं

हम भी फूलों की तरह कितने बेबस हैं , कभी किस्मत से टूट जाते हैं , कभी लोग तोड़ जाते हैं

तरसते नन्हे हाथो को देखा है?

बड़ी ही गहरी बात लिख दी है
किसी शक्शियत नें ...

बेजुबान पत्थर पे लदे है करोडो के गहने मंदिरो में ,
उसी देहलीज पे एक रूपये को तरसते नन्हे हाथो को देखा है।

सजाया गया था चमचमाते झालर से मस्जिद और चमकते चादर से दरगाह को,
बाहर एक फ़कीर को भूख और ठंड से तड़प के मरते देखा है ।।

लदी हुई है रेशमी चादरों से वो हरी मजार ,
पर बहार एक बूढ़ी अम्मा को ठंड से ठिठुरते देखा है। 

वो दे आया एक लाख गुरद्वारे में हाल के लिए ,
घर में उसको 500 रूपये के लिए काम वाली बाई बदलते देखा है।

सुना है चढ़ा था सलीब पे कोई दुनिया का दर्द मिटाने को,
आज चर्च में बेटे की मार से बिलखते माँ बाप को देखा है। 

जलाती रही जो अखन्ड ज्योति देसी घी की दिन रात पुजारन ,
आज उसे प्रसव में कुपोषण के कारण मौत से लड़ते देखा है ।

जिसने न दी माँ बाप को भर पेट रोटी कभी जीते जी , आज लगाते उसको भंडारे मरने के बाद देखा है ।

दे के समाज की दुहाई ब्याह दिया था जिस बेटी को जबरन बाप ने, आज पीटते उसी शौहर के हाथो सरे राह देखा है ।

मारा गया वो पंडित बेमौत सड़क दुर्घटना में यारो ,
जिसे खुदको काल सर्प, तारे और हाथ की लकीरो का माहिर लिखते देखा है। 

जिस घर की एकता की देता था जमाना कभी मिसाल दोस्तों ,
आज उसी आँगन में खिंचती दीवार को देखा है।

मंगलवार, 29 सितंबर 2015

Rishton mein Duriya to aati rehti hai,

Rishton mein Duriya to aati rehti hai,
Dosti sada do Dilon ko milati rehti hai,
Wo Dosti hi kya Jisme Narazgi na ho,
Par Sachi Dosti hamesha Dosto ko Mana leti hai.

जब लगा था "तीर" तब इतना "दर्द" न हुआ ग़ालिब...

जब लगा था "तीर" तब इतना "दर्द" न हुआ ग़ालिब...
"ज़ख्म" का एहसास तब हुआ जब "कमान" देखी
अपनों के हाथ में...

Har nazar ko ek nazar ki talash hai

Har nazar ko ek nazar ki talash hai,
Har chehre mein kuchh to ehsah hai,
Aapse dosti hum yun hi nahi kar baithe,
Kya karen hamari pasand hi kuchh KHAAS hai.

duniya se mile gam to bahut hai

duniya se mile gam to bahut hai,
inn mile gamo se aankhe num to bahut hai,
kab ke mar jaate inn ghamo ke sehkar,
par dosto ki duaaon mein asar bahut hai.