"सिर्फ आसमान छू लेना ही
कामयाबी
नही होती है !
असली कामयाबी तो वो है
कि आसमान
भी छू लो और पैर भी
जमीन पर हों..!!"
.
"जो हो गया उसे सोचा नही
करते,
जो मिल गया उसे खोया
नही करते,
हासिल उन्हें होती है
सफलता,
जो वक्त और हालात पर
रोया नहीं
करते !!"
.
"घड़ी की सुई अपने नियम
से चलती है ,
इसीलिए सब उसका
विश्वास करते हैं !
आप भी अपने नियम से
चलिये,
लोग आपका भी विश्वास
करेंगे...!!"
.
"रिश्तों की सिलाई" अगर
भावनाओं से
हुई है, "तो टूटना मुश्किल
है" !
और अगर स्वार्थ से हुई है , "तो टिकना
मुश्किल है" !!
.
"दीपक बोलता नहीं उसका
प्रकाश
परिचय देता है !
ठीक उसी प्रकार आप अपने
बारे में कुछ न
बोले ;
अच्छे कर्म करते रहे वही
आपका परिचय
देगे !!"
.
"बहुत खुशकिस्मत होते है
वे लोग जिन्हें
“समय” और
“समझ” एक साथ मिलती
है, क्योंकी
अक्सर “समय”
पर “समझ” नही आती और
जब “समझ”
आती है तो
“समय” हाथ से निकल जाता है…!!!"
सुप्रभात
उर्दू मेंशायर शायरी, गम की शायरी, जुदाई की शायरी, प्यार में बेवफाई की शायरी, बेवफा सनम , मोहब्बत की शायरी, दर्द भरी शायरी, गर्लफ्रेंड पर शायरी, तारीफ में शायरी
गुरुवार, 15 अक्टूबर 2015
कामयाबी नही होती है
मंगलवार, 13 अक्टूबर 2015
जीने के लिये भी वक़्त नहीं.... ....
" वक़्त नहीं "
हर ख़ुशी है लोंगों के दामन में,
पर एक हंसी के लिये वक़्त नहीं....
दिन रात दौड़ती दुनिया में,
"ज़िन्दगी" के लिये ही वक़्त नहीं......
सारे रिश्तों को तो हम मार चुके,
अब उन्हें दफ़नाने का भी वक़्त नहीं .....
सारे नाम मोबाइल में हैं ,
पर "दोस्ती" के लिये वक़्त नहीं .....
गैरों की क्या बात. करें ,
जब अपनों के लिये ही वक़्त नहीं......
आखों में है नींद. भरी ,
पर सोने का वक़्त नहीं......
"दिल" है ग़मो से भरा हुआ ,
पर रोने का भी वक़्त नहीं .
पैसों की दौड़ में ऐसे दौड़े, की,,
थकने का भी वक़्त नहीं ....
पराये एहसानों की क्या कद्र करें ,
जब अपने सपनों के लिये ही वक़्त नहीं.......
तू ही बता दे ऐ ज़िन्दगी ,
इस ज़िन्दगी का क्या होगा,
की हर पल मरने वालों को,,
जीने के लिये भी वक़्त नहीं.... ....
मुझें, मंजूर थे वक़्त के सब सितम,
मुझें, मंजूर थे
वक़्त के सब सितम, मगर...
तुमसे मिलकर, बिछड़ जाना..
ये सजा
ज़रा ज्यादा हो गयी..!
सागर का डर भी अब ढलने लगा
सागर का डर भी अब ढलने लगा है,लहरो को मेरा संभलना भी खलने लगा है
हर दिशा मे मेरे चर्चे है क्योंकि,एक दिया तूफ़ान से झगड़कर भी जलने लगा है,
रविवार, 11 अक्टूबर 2015
उठो लाल अब आँखे खोलो
मॉडर्न कविता...
उठो लाल अब आँखे खोलो
मोबाईल ऑन कर नेट टटोलो..
चलो देख लो वाट्सएप पहले
ज्ञान जोक्स पर रोले हंस ले।
फेसबुक की है दूसरी बारी
जहाँ दिखेगी दुनिया सारी
देखो किसने क्या है डाला
किसने कितना किया घोटाला
कौन आज दुनिया में आया
किसने किससे केक कटाया
ट्विटर की तो बात निराली
चार शब्द् में गाथा गा ली।
उठो तुम भी कुछ लिख लिख बोलो
उठो लाल अब आँखे खोलो
मोबाईल ऑन कर नेट टटोलो..!!
शनिवार, 10 अक्टूबर 2015
चूहे का सेहरा
चूहे का सेहरा सुहाना लगता
है
चुहिया का तो दिल दिवाना
लगता है
पल भर में ऐसे कुतरते हैं
कपडे
अब तो हर कपडा पुराना
लगता है........
सर , सुसु जाना हैं.
साधारण लोग: सर , सुसु जाना हैं.
गुलज़ार साहब-
मचलती हैं पेट में कुछ लहरें सी,
लगता हैं इन्हें किसी किनारे का इंतज़ार हैं.