मंगलवार, 13 अक्तूबर 2015

जीने के लिये भी वक़्त नहीं.... ....

" वक़्त नहीं "
हर ख़ुशी है लोंगों के दामन में,
पर एक हंसी के लिये वक़्त नहीं....
दिन रात दौड़ती दुनिया में,
"ज़िन्दगी" के लिये ही वक़्त नहीं......
सारे रिश्तों को तो हम मार चुके,
अब उन्हें दफ़नाने का भी वक़्त नहीं .....
सारे नाम मोबाइल में हैं ,
पर "दोस्ती" के लिये वक़्त नहीं .....
गैरों की क्या बात. करें ,
जब अपनों के लिये ही वक़्त नहीं......
आखों में है नींद. भरी ,
पर सोने का वक़्त नहीं......
"दिल" है ग़मो से भरा हुआ ,
पर रोने का भी वक़्त नहीं .
पैसों की दौड़ में ऐसे दौड़े, की,,
थकने का भी वक़्त नहीं ....
पराये एहसानों की क्या कद्र करें ,
जब अपने सपनों के लिये ही वक़्त नहीं.......
तू ही बता दे ऐ ज़िन्दगी ,
इस ज़िन्दगी का क्या होगा,
की हर पल मरने वालों को,,
जीने के लिये भी वक़्त नहीं.... ....

1 टिप्पणी:

  1. उसकी जय कभी नहीं हो सकती, जिसका दिल पवित्र नहीं है।
    उठो, जागो और लक्ष्य प्राप्ति होने तक मत रुको।
    उठो, जागो और तब तक रुको नहीं जब तक मंज़िल प्राप्त न हो जाये।
    उच्चस्तरीय महत्त्वाकांक्षा एक ही है कि अपने को इस स्तर तक सुविस्तृत बनाया जाय कि दूसरों का मार्गदर्शन कर सकना संभव हो सके।
    उच्चस्तरीय स्वार्थ का नाम ही परमार्थ है। परमार्थ के लिये त्याग आवश्यक है पर यह एक बहुत बडा निवेश है जो घाटा उठाने की स्थिति में नहीं आने देता।
    उदारता, सेवा, सहानुभूति और मधुरता का व्यवहार ही परमार्थ का सार है।
    उतावला आदमी सफलता के अवसरों को बहुधा हाथ से गँवा ही देता है।
    उपदेश देना सरल है, उपाय बताना कठिन।
    उत्कर्ष के साथ संघर्ष न छोड़ो!
    उत्तम पुस्तकें जाग्रत्‌ देवता हैं। उनके अध्ययन-मनन-चिंतन के द्वारा पूजा करने पर तत्काल ही वरदान पाया जा सकता है।
    ‘उत्तम होना’ एक कार्य नहीं बल्कि स्वभाव होता है।
    उत्तम ज्ञान और सद्‌विचार कभी भी नष्ट नहीं होते हैं।
    उत्कृष्टता का दृष्टिकोण ही जीवन को सुरक्षित एवं सुविकसित बनाने एकमात्र उपाय है।
    उत्कृष्ट जीवन का स्वरूप है- दूसरों के प्रति नम्र और अपने प्रति कठोर होना।
    उनसे दूर रहो जो भविष्य को निराशाजनक बताते हैं।
    उपासना सच्ची तभी है, जब जीवन में ईश्वर घुल जाए।
    उन्नति के किसी भी अवसर को खोना नहीं चाहिए।
    उनकी प्रशंसा करो जो धर्म पर दृढ़ हैं। उनके गुणगान न करो, जिनने अनीति से सफलता प्राप्त की।
    उनकी नकल न करें जिनने अनीतिपूर्वक कमाया और दुव्र्यसनों में उड़ाया। बुद्धिमान कहलाना आवश्यक नहीं। चतुरता की दृष्टि से पक्षियों में कौवे को और जानवरों में चीते को प्रमुख गिना जाता है। ऐसे चतुरों और दुस्साहसियों की बिरादरी जेलखानों में बनी रहती है। ओछों की नकल न करें। आदर्शों की स्थापना करते समय श्रेष्ठ, सज्जनों को, उदार महामानवों को ही सामने रखें।
    उद्धेश्य निश्चित कर लेने से आपके मनोभाव आपके आशापूर्ण विचार आपकी महत्वकांक्षाये एक चुम्बक का काम करती हैं। वे आपके उद्धेश्य की सिद्धी को सफलता की ओर खींचती हैं।
    उद्धेश्य प्राप्ति हेतु कर्म, विचार और भावना का धु्रवीकरण करना चाहिये।
    उनसे कभी मित्रता न कर, जो तुमसे बेहतर नहीं।

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